बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र
अध्याय - 20
शिक्षा के आर्थिक परिप्रेक्ष्य
(Economic Perspective of Education)
प्रश्न- राष्ट्रीय विकास में शिक्षा की भूमिका को विस्तार से बताइए।
उत्तर -
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के विकास के बुनियादी संकेतकों में से एक इसके समाज की शिक्षा और ज्ञान की डिग्री है। इसलिए, शिक्षा में विशेष रूप से उच्च शिक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता माना जाता है जो आर्थिक विकास के साथ-साथ सामान्य रूप से समाज के विकास में योगदान देती है। ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए उच्च शिक्षित कार्यबल का विशेष महत्त्व है। अधिकांश विकसित देश ज्ञान और मानव पूँजी में निवेश करके अपनी विकास रणनीतियों को लागू करते हैं।
यूरोप, 2020 रणनीति अपने मुख्य लक्ष्यों के रूप में स्थिति और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के रूप में सूचीबद्ध करती है। संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक, शिक्षा को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण की नींव में से एक मानते हैं। विकास प्रक्रिया का प्रमुख कारक लोगों में निहित ज्ञान है। यह पेपर शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ ज्ञान अर्थव्यवस्था के विकास के बुनियादी संकेतक दिखाता है, और यह भी पता लगाता है कि बोस्निया और हर्जेगोविना ज्ञान अर्थव्यवस्था के रास्ते पर कहाँ हैं।
मानव पूँजी विकास में बड़ा निवेश होने के कारण शिक्षा किसी भी राष्ट्र में एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। शिक्षा सीखने, ज्ञान, कौशल और आदत के रूप में आत्मविश्वास का एक रूप है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाया जाता है।
शिक्षा एक सफल और उत्तरदायी नागरिक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा शिक्षा राष्ट्रीय विकास में कई प्रकार की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया में शिक्षा
राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया में शिक्षा की भूमिका या कार्यों का वर्णन निम्नलिखित है-
(1) उत्पादन बढ़ाना - शिक्षा पुरुषों और महिलाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नवीनतम ज्ञान से लैस करके उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है। राष्ट्रीय आय को बढ़ाने के लिए शिक्षा को उत्पादकता से संबंधित होना चाहिए अर्थात् वास्तविक रूप में व्यक्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल उत्पादन करे।
(2) प्रतिभा और गुणों का विकास करना - राष्ट्र के विकास की कुंजी प्रतिभाओं और व्यावहारिक गुणों की खेती में निहित होती है। जागृत, सही ज्ञान, परिष्कृत कौशल और वांछनीय दृष्टिकोण राष्ट्रीय विकास के संकेतक हैं। शिक्षा राष्ट्रीय विकास और व्यक्तिगत विकास की प्रक्रिया का उपयोग करने के उद्देश्य से गुप्त शक्तियों या प्रतिभाओं को प्रकट करने में मदद करती है। इस प्रकार, शिक्षा को एक राष्ट के सभी पहलुओं में विकास प्राप्त करने के लिए प्रतिभा और गुणों के दोहन के साधन के रूप में माना जाता है।
(3) मानव संसाधन का विकास करना - मानव संसाधन विकास अनिवार्य रूप से किसी देश के सामाजिक-आर्थिक विकास और उसके लोगों के जीवन की गुणवत्ता का एक प्रमुख संकेतक है। यह मानव की क्षमता को अधिकतम करने के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए दृष्टतम उपयोग को बढ़ावा देता है।
राष्ट्र के विकास के लिए स्वस्थ मानव संसाधन का विकास अनिवार्य है। यद्यपि भौतिक संसाधनों का विकास आवश्यक है परन्तु भौतिक संसाधनों का विकास मानव संसाधनों के विकास से ही संभव है। इस प्रकार समय की माँग है कि चुनौतियों और राष्ट्र की आवश्यकताओं का सामना करने के लिए कुशल मानव-शक्ति की एक सेना का विकास किया जाए।
(4) व्यक्तिगत-व्यक्तित्व का विकास करना - शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तिगत-व्यक्तित्व के सभी रूपों शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक, नैतिक, आध्यात्मिक और सौंदर्य का सर्वागीण विकास करना है। व्यक्ति के विकास के बिना राष्ट्रीय विकास संभव नहीं है।
व्यक्ति के विकास में कुछ गुण शामिल हैं, जैसे- आत्मविश्वास का विकास, वैज्ञानिक स्वभाव का निर्माण, आत्मनिर्भरता की प्राप्ति, कर्त्तव्य के प्रति समर्पण की भावना, सामाजिक और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना, एकता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।
जनसंख्या के सभी वर्गों को शामिल करने के लिए शिक्षा का विस्तार किया जाना चाहिए। शिक्षा लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से एक समाजवादी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष सामाजिक व्यवस्था स्थापित करने मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(5) सामाजिक और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना - शिक्षा का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य सामाजिक और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है। सामाजिक एकता राष्ट्रीय एकता को प्राप्त करने की एक सीढ़ी है जो बदले में राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया में मद्द करती है। हमारी शिक्षा और अन्य गतिविधि यों को राष्ट्र की एकता और एकजुटता को मजबूत करने के लिए लोगों को तैयार किया जाना चाहिए।
(6) आधुनिकीकरण के संबंध में शिक्षा - आधुनिकीकरण को राष्ट्रीय विकस का शाही मार्ग कहा जाता है। शिक्षा निम्नलिखित कार्य करके राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है-
(i) जिज्ञासा, उचित रूचि, दृष्टिकोण, मूल्यों का जागरण, स्वतन्त्र अध्ययन और उचित ढंग से सोचने और न्याय करने की क्षमता के रूप में उचित कौशल का निर्माण करना।,
(ii) समाज के सभी वर्गों के बुद्धिजीवियों और शिक्षित लोगों की संरचना को बदलना।
(iii) व्यावसायिक विषयों, विज्ञान आधारित शिक्षा और अनुसंधान पर जोर देना।
(7) लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास - किसी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए सहयोग, आपसी समझ, स्वतन्त्रता, समानता, न्याय, आपसी मदद, अनुभवों को साझा करना, जिम्मेदारी निभाना, नेतृत्व करना आदि जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
(8) समाज के समाजवादी पैटर्न की स्थापना इसके अन्तर्गत निम्नलिखित मुख्य कार्य सम्मिलित हैं-
(i) शैक्षिक अवसरों की समानता,
(ii) सार्वजनिक शिक्षा की सामान्य स्कूल प्रणाली,
(iii) अनिवार्य सामाजिक और राष्ट्रीय सेवा,
(iv) छात्रवृत्ति का उदार प्रावधान।
(9) धर्मनिरपेक्ष आउटलुक विकसित करना - राष्ट्र के विकास के लिए धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को बढ़ावा देना आवश्यक है।
(i) नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों में शिक्षा का प्रावधान।
(ii) दुनिया के प्रत्येक प्रमुख धार्मिक के बारे में अच्छी तरह से फिट जानकारी शामिल करना।
(iii) छात्रों के सामने सामाजिक न्याय और समाज सेवा के उच्च आदर्शो की प्रस्तुति।
(iv) सभी धर्मो के लिए तर्कसंगतता लागू करने में छात्रों की सहायता करना।
(10) अंतर्राष्ट्रीय समझ को बढ़ावा देना - राष्ट्रीय एकता जैसे राष्ट्रीय विकास के लिए अन्तर्राष्ट्रीयता का अत्यधिक महत्व है।
(i) मानवता की प्रगति में विभिन्न राष्ट्रों द्वारा दिए गए ठोस योगदान पर बल देना।
(ii) अन्य समुदायों के बारे में शत्रुतापूर्ण सामग्री को समाप्त करके पाठ्य पुस्तकों को उचित परिप्रेक्ष्य में बहाल करना।
(iii) महानगरीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में मदद करना।
(iv) ब्रह्मांड के अन्य समुदायों या जातियों के प्रति छात्रों के मन में नकारात्मक दृष्टिकोण को समाप्त करना।
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- प्रश्न- शिक्षा के संकुचित तथा व्यापक अर्थों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा की परिभाषा देते हुए इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए। शिक्षा तथा साक्षरता एवं अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है?
- प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
- प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए - (i) तत्व-मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
- प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये |
- प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
- प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
- प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक की भूमिका को समझाइए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है?
- प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
- प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों?
- प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
- प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्त्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
- प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं? लिखिए।
- प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन का क्या अभिप्राय है? बताइए।
- प्रश्न- जाति भेदभाव को खत्म करने के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर की शिक्षा दर्शन की शिक्षण विधियाँ क्या हैं? बताइए। शिक्षक व शिक्षार्थी सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं?
- प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक शिक्षण विधियों एवं पाठ्यक्रम के निर्धारण में जॉन डीवी के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बहुलवाद से क्या तात्पर्य है? राज्य के विषय में बहुलवादियों के क्या विचार हैं?
- प्रश्न- बहुलवाद और बहुलसंस्कृतिवाद का क्या आशय है?
- प्रश्न- बहुलवाद, बहुलवादी शिक्षा से आपका क्या आशय है? इसकी विधियाँ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की प्रक्रिया को बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में जाति, वर्ग एवं लिंग की भूमिका बताइए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं? विद्यालय संगठन का अर्थ, उद्देश्य एवं इसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन की परिभाषाए देते हुए विद्यालय संगठन की विशेषताओं का वर्णन करें।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन एवं शैक्षिक प्रशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? इनसे सम्बन्धित धारणाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए |
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में विद्यालय की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रारूप बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं? सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक एवं शिक्षा की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न रूपों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उच्चगामी गतिशीलता क्या है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा इनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'अधिकार तथा कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निदेशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निदेशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
- प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- राज्य के उन नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
- प्रश्न- नीति निदेशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास में शिक्षा की भूमिका को विस्तार से बताइए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए शिक्षा से आप क्या समझते हैं? सतत् विकास में शिक्षा की अवधारणा और उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सहस्राब्दी विकास लक्ष्य मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स का निर्धारण कौन-सा संस्थान करता है?
- प्रश्न- एमडीजी और एसडीजी के मध्य अन्तर बताइए।
- प्रश्न- ज्ञान अर्थव्यवस्था की राह पर विकास के संकेतक के रूप में शिक्षा को संक्षेप में बताइए। ज्ञान अर्थव्यवस्था के महत्व को भी बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् शिक्षा के प्रमुख अभिकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (MDGs) व सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) क्या है? बताइए।